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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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मोतीलाल छापरवाल


अकलमंद पकड़ै नहीं, पूँछ गधा की ताण।
पकड़ लेत य तो छोड़ दे, आता ही ओसाण।1
अवगुण सू कैई काम है, गुण नै लेणों देख।
केलो खाणों आपणै, छिलको देणों फेंक ।2
अवगुण आड़ी नाल मत, गुण ही लखबो सीख।
कालस सूँ कँई काम है, चरमूं लाल कसकी।3
अधम सगो मिलतां नमै, कर कूण्यां तक जोड़।
काम पड्या जाकरसुवै, घरे गूदड़ी ओढ़।
अकलमंद खरचो करै, देख आपणी आय।
बिन सोच्यां मूरख करै, धरा पगां सूँ जाय।5
अब घर खोजो दूसरो, चूहां करो न दरे।
ईं घर में परवार का, झघड़ँ सांझ सवरे।6
अन्तस उजलो चायजै, तन सूँ कांई काम।
जम्यो तैल पावै कँई, घी का जतरो दाम।
अलड़ बलड़ रयो ठूँ सतो, खाली रख्यो न पटे।
करी वैद घर जार अब, चरण चढ़ावौ भेंट।8
असली तो सुलझावसी, उलझी पुलझी राड।
बत्ती करसी नीच तो, दोर रे बीच दराड़।9
अकलहीण पहँ आय जद, द्रव्य जवानी माय।
फेर मिले सम्मान पद, तो भू पै धरै न पांय।10
असलागी सूतों रियो, छोड़ सक्यो नीं खाट।
रेल निकलगी बगत पै, वा कां नालै बाट।11
अणजोगा बहु स्वारथी, कुजन बढ़ापो पाय।
भला लोग बहुधा अठे, सदा ठोकरा खाय।12
अणी राज रै माय ने, कागद सरकै कद्द।
हर टेबुल रा ऊपरै, कागद मेलो जद्द।13
्‌णजोगा नै जद मिलै, श्रोता सूँ बहुमान।
बोलचाल व्यवहार को, रती न राखै मान।14
अनुचित बातां मांय जद, अड़ियल जो अड़जाय।
निश्चय वीं रा सामने, अगणित खतरा आय।15
अधिकारी अधिकार को, थूँ कां गरब करै।
गरब छोड़ कर्त्तव्य पै, कांनी ध्यान धरै।16
अरि ऊँलो कांई करै, हरि जद सूँलो होत।
अरि मिल जग रा चूगता, छाती फूटो बोत।17
अधिक बोल कंई काम रो, बोलबोल अतरोक।
सोच समझ अर रीत सर, काम सरै जतरीक।18
अस्या मिन्न नै आप जो, मिन्न गणो तो झूठ।
जो थोड़ी सी बात में, भगै आँतरै रूठ।19
अतुल शक्ति थां मांयने, शक नीं ईं रै मांह।
कसर एक मां में फगत, खुद नै समझ्यो नांह।20
अनायास सूं सुजन सूँ, दुक्ख अभागो पाय।
पेड़ तले ज्यूँ गंजियो, चोट आम की खाय।21
अभख भखै, संपत रखै, छांनै रखै रखैल।
वे गुरू काँई बतावसी, खुदही भल्या गैल।22
अधिक बोल मत, बोल कम, तोल-तोल कर यांन।
कविवर मेलै छन्द में, आखर गिण गिण ज्यांन।23
अवगुण नै देखो मती, देखो गुण अभिराम.
काम आपणे फूल सूँ, कांट सूं कँई काम।24
अवगुण पण भरिया घमां, गुण पण भर्या अनेक।
थूँ अवगुण देखए मती, गुण ही गुण नै देख।25
अवगुण मतना देख थूँ, गुण अवगुण की जोड़।
धान रोल कर बां ले, कंकर मिट्टी छोड़।26
अदब बड़ा को भूलग्यो, गजब करीया बता।
तुछ बातां पै छात्न थूँ, करन लग्यो उत्पात।27
अक्कल नै आदर मिले, औरां सूं अधिकाय।
अकल बसै तो देखलो, शीश सिरानो पाय।28
अमल करै नी एक पै, भरै रूपाला भाव।
लांबा चौड़ा आज बस, पास करै प्रस्ताव।29
अरे आज का राज की, कांई कहऊँ बात।
टका फेंकण्यो होयतो, दिन नै करदै रात।30
अफसर पूगै दरे सूँ, दफ्तर में नत रोज।
बाबू जद कानी करै, दोपहरां तक भोज।31
अपणों ही सोचे सदा, परहित सोचै नांय।
हे विधि ! वीं ने मनख री, श्रेष्ठ जूण दी कांय।32
अपणा हित री चाह तो, नुसखो ईं रो एक।
तुरतां दोडौ मदद नै, पर ने दुख में देख।33
असली नकली की कदी, यूँ नीं खबर पडै।
धंधो करलो मेल में, या जा बसो मडै।34
अधम सगो मिल जाय तो, निज सम्पत रै पाण।
निरधन की राखै नही, उचित कायदो काण।35
अवसर आयाँ निबल भी, करे सबल को नाश।
काट देत ज्यूँ तास में, बादशाह ने दास।36
अफसर की जद देश में, आंवल बांवल चाल।
काँ चलसी जद हेटला, सीधा मोतीलाल।37
अधम सगो सामै करे, मीठी बातां बोत।
पाछूँ मनखा बीच में, हरख उघाड़े पोत।38
अनायास हो जाय जद, चरितवान सूँ चूक।
सुजन दोष ढाँकै सदा, कुजन मचावे कूक।39
अवसर जद आयो भलो, अवसर दीन्हो खोय।
बार-बार आवे नहीं, पछताया कँई होय।40
अरे बोरड़ी खोरड़ी, करैं दिखावो कांह।
देख रूँख नारेल को, विभव दिखावै नांह।41
अरे सुई का और के, करे गपड़का कांह।
बलता फाल्या चेंठसी, थारे तन रे मांह।42
अपणा हित रे हेत जो, करै और की हाण।
मोती या भी एक है, दुर्जन की पहचाण।43
अर्थ एक पण बोलज्यो, शब्द रूपाला आप।
मां को माँटी को मती, को आदर सूँ बाप।44
अभ्यागत या पावणो, जीं घ आदर पाय।
वीं घ में बासी करै, निश्चय समरथ आय।45
अकड़े मत धन पाण सूं, दीन-हीन ने देख।
भूले मत केणात या, सब दिन रहनीं एक।46
अध-मग चालण हार की, पीठ थपांवे कांह।
चलतो ही थूँ कां पड़े, पाप पंक रे मांह।47
अधभणियो ओछो जदे, ऊचो पद पा जाय।
आसामी मातेद ने, तू तू कह बतलाय।48
अगर-दगर अधकां करै, तो रोटी रै हेत।
बोल बता कुण जगत में, कुबा कनकरा लेत।49
अकलहीन बण जाय जद, अकरत सूँ धनवा।
और तुच्छ सब, आपणे, गिणे गुणाँ री खान 50
अरि सूँ बदलो लेय थूँ, दुष्टां ने उकसाय।
कसर पड्यां वे ही कदी, थां पै करसी वाल।51
अपणी कोई आण नीं, नीं कोई दी हाण।
लोक विरुद्ध कां चालणो, अतरो रख ओसाण।52
अधिक नहीं तो खोज कर, बता एक या दोय।
जीं री ईं संसार में, निन्दा करी न कोय।53
अत्तर बंद संदूक रो, महक देत चहुं ओर।
त्यों सेवा री महक भी, पसरे करै न शोर।54
अपणा हित रे हेत रज पण की हुवे न हाण।
मोती हर व्यवहार में, यो रखज्यो ओसाण।55
अल्प दियो सो मुक्ख चढ्यो, बदल दियो व्यवहार।
वीं समधी ने कां कंई, चतुरां करो विचार।56
अगल-बगल में वसरिया, जद नागारी हेल।
सुख सूँ रहबा दे नही, भी पागड़ी मेल।57
अवस मिले फल दान को, आज नहीं तो काल।
केवे तो करदे तुरत, लिख तम मोती लाल।58
आप कमाई नीं करी, नाम कमायो बाप।
आदर देवें लोग तो, आपणओ गिणो न आप।59
आयो पण ईं देश में, अटक्यो कठै स्वराज।
पहली सूं ही देख लो, बढ़ी विषमता आज।60
आफत में आवै घरै, सुणतां पहली दौड़।
सकल सगां में ऊ सगो, है सागै सिरमौड़।61
आड़ौ मत पड और कै, आडौ आबो सोख।
मनख जूण दी रामजी, याद राख अतरीक।62
आंख मींच करजै मती, आसी कदी न आंच।
मँडिया गाज ऊपरै, दसखत करजै बांच।63
आप आपकी ठौड़ में, सभो काम की चीज।
फाल्यो फाड़ै भौम नै, सींवे सुई कमीज।64
आछ्या लेसी जोड़ धन, खोटा  देसी फूंक।
किण काका कै कारणै, बण्या सेठजी जूंक।65
आछ्या रो घर मायनै, ओछां जन्म्यां कांह।
बालपणा में पालिया, चाकर गोदी मांह।66
आप बणी तो गाढ रख, आतरो मती अमूँझ।
काढ़ देवसी रामजी दुःख की आंधी डूँझ।67
आछ्यां री संगत कियां, ओछो आदर पाय।
ज्यूं सीसा रो टूकड़ो, बैठ सूं दड़ी मांय।68
आछी पोथ्यां बाचणी, भली बैठणो ठौड़।
परहित कारण जावणो, बिना बुलाय दौड।69
आछया कीदा काम अर, आछ्या करना काम।
रवी-रवी को चुगतो, लेखो राखै राम।70
आछ्यां कुल का आप अर, भला बाप रा पूत।
गुण नीं तो ठोड़ा मिलै, जहाँ जन खोले जूत।71
आदर कर्यो न बाप रो, घरै बारणे पूत।
वांरो टाबर बाप नै, क्यूँ न दिखावै जूत।72
आछ्यां दिन में मेलतो, ज्यो जीं रे थापूण।
दिन बिगड्यो जद नीं दियो, सेर उधारो लूण।73
आवे नहीं बाजर में, घणा रूपाला आम।
छाँठ छूटकर काढ़ले, कम सड़्यि सूँ काम।74
आदत मोटा मनख री, आदर सवने देय।
ओछा पोछा मूढ़ पण, दूतर्यां बिना न रेय।75
आछ्यां के घर निपजै, जद ओछी औलाद।
परहित कीदो बाप तो, केर दरावै याद।76
आई नहीं विनम्रता, बढ़ग्यो और गरुर।
बहुत पढ्यो जीसूं कँई, ई पढबा में धूर।77
आब मुसीबत देखलै, पण दूजा रो काम।
तुरतां फुरतां सार दै, मनख वणी रो नाम।78
आया को अपणा घरै, आदर करणो भव्य।
पण पाणी में फेंक मत, बेरहमी सूं द्रव्य।79
आज खमावै काल यो, नित जपण्यो नमकार।
भा ी सूं पाछो भिड़ै, राजकचेर्यां जार।80
आप कंई सो आपरा, मन में देखो हेर।
शोभा सुण फूलो मती, चाटुकार चहुंमेर।81
आमद केवल चार की, खर्च करे थूं आठ।
बिक जासी ई टेब सूं, खेतझूंपड़ा हाट।82
आप नसै पण और नै, यूं दुःख देवै नीच।
चुभकर टूटै शूल ज्यूं, चलता रै पग बीच।83
आज बठे काले बठे, ठमे न धन इक ठान।
घर आया नै कां नटै, नठै न दीदां दान।84
आखर दीदा दोय जो, सदा राखजे याद।
थूं वान मत भूलजे, पद पायां रै बाद।85
आंधा हो भणिया करै, पर की नकलाँ देख।
अन्ध विसासी अणभण्या, है दोन्यूं ही एक।86
आछी पण बोलै मती, बिन मौके थूं बात।
राम नाम लेवै कंई, चढ़ती बखत बरता।87
आछ्यो नहीं पड़ौस तो, मौन छोड़ ततकाल।
जो बसणो बन मायने, भली झूंपड़ी घाल।88
आवे कई, उतार अर, आवे कई चढ़ाव।
जीवन को क्रम ही अस्यो, मोती मत घबराव।89
आदत देखी नीच की, म्हें कतरा ही दाण।
एक टका साँटै करै, पर कै सौ की हाण।90
आयो नहीं वेरागपण, डाकू बणग्यो सन्त।
पात्र छिपावे और का, आदत मिटी न अन्त।91
आमा सामा दोयरा, नेण चार मिल जात।
बात साफ कह दे असी, शभद न कह वायात।92
आडो आवे मर्द तो, देख ओर को दर्द।
भगै दूर सूं दूर बस, नालायक नामर्द।93
आदर दै नीं और ने, थूं चावे सम्मान।
या होबारो है नहीं, समझे तो अज्ञान।94
आया सी रहणा नहीं, गिया तो रोवे कांह।
बता  ेक भी जगत में, जीं घर मरियो नांह।95
आयो सो नीं रेवणा, सुगला करसी कूच।
कां रे को पर सूं लड़ै, खांच खांच कर मूंछ।96
आव नहीं करजो रै, बिन सोच्यो बेतौल।
जावे तो अचरज कंई, घर कोड्यां कै मोल।97
आछ्या ं सू डरपै कुण, करे उपेक्षा लोग।
खोटा ग्रह सूं डर जपै, आता पेली रोग।98
ाता करे न देर धन, जाता करे न देर।
मिल जासो परमाण बहु, देस नगर में हेर।99
आग लगा दूरो भगै, लै ओरा का नांव।
बीं का मुख पै थूं कसी, पतो पड़े जब गांव।100
आंवल बांवल झूठ ये, अतरो बोले कांह।
सुमत कूंच करगी अबै, दुःख आबारै मांह।101
आज नहीं ई काम ने, कर लेस्यूं म्हूं काल।
होसी कन होसी नहीं, सख है मोतीलाल।102
आतां करै न देर धन, जातां करै न देर।
राते धन हो मोखलो, होतां नस्यो सवेर।103
आछ्यां के जद नींपजे, लाल चुगल चालाक।
राड़ करा अर गाँव में, आप जमावे धाक।104
आछ्यां कै ओछा हुयां, अचरज करणो कांह।
होतो देख्यो काग्यो, आछ्यां जौ रे मांह।105
इक मूँडा के साथ में, हाथ दिया हरि दोय।
काम देवणों होय तो, भूखा रहे न कोय।106
इच्छा अथवा लोभ रो, सेवन करणो नांह।
सेवन करता हित नहीं, लिख लीजे हिय मांय।107
इक हीरो इक कांकरो, अतरो अन्तर कांह।
शिक्षित माता एक की, इके ही शिक्षित नांह।108
इच्छा मन में मान की, सह न सकै अपमान।
छूट जाय तो लालसा, बोझो उतर्यो मान।109
इससे बढ़कर और क्या, दीन्हीं सुता प्रबीन।
समधी मांगे द्रव्य तो, उससा कौन कमीन।110
ई गेणा सूँ डील को, खोल सकै नीं मेल।
परी बेच कन कामणी, खोल मायने मेल।111
ईं सरिता को नीर को, अब अतरो मेलो कांह।
आण पड़ी गटरा घणी, निर्मल जलरै मांह।112
ईं उलझण में कां पड़े, लाय लगाई कूण।
अठे कूढ़ ईं आग में, थूँ तो जल की मूण।113
उत्तर दीदो राड़ को, बै दीदो पुनि आर।
यूँ तो बढ़ती रेवसी, चुप रहबा में सार।114
उपट मीत थारो चलै, पगडंडी नै छोड़।
दोष थँने देसी कुणी, कान पकड़नै मोड़।115
उलझ्या ने सुलझ्या दे, चातुर ह्ये सो यांन।
उलझ्या धुलझ्या सूं त ने, कुशल जुलाहो ज्यांन।116
उत्तम साधन चायजे, उत्तम कारज हेत।
गो सेवा पण और को, मती उजाड़ो खेत।117
उपट चालतो म्हें लख्यो, सज्जन में वीं रोज।
खल के साथे लागग्यो, कारण लीन्हों खोज।118
उत्तम जन सोचे सदा, हित औरां को आद।
हित कतरो ही हो बलो, आपणो सोचे बाद।119
उलझाण्या है जमत में, कनक कामणी दोय।
बिन छूट्यां आनन्द की, बरखा कदी न होय।120
उघड़ जाय मतहीण ने, जद्र कीरत की भूक।
झूठ जाल छल कपट सब, लजे न करता चूँक।121
ऊँट और में कूब लख, काँई काढै बांक।
टेढ़-मेढ़ कतरीक सो, खुद की आड़ी जांक।122
ऊ रब है, ऊ राम है, लड़बा रो कँई काम।
थूँ भी थारी ओर सूँ, घड़लै कोई नाम।123
ऊगै आंथै ज्यूँ रवी, ल्यूँ ही नर को भाग।
अकड़ै मतरै धनिक थूँ, अहंकार न त्याग।124
ऊ कोई सूँ दूर नी, मन सूँ दंतो टेर।
प्रभु तो आता नीं करै, पाव पलकरी देर।125
ऊपर ही ऊपर थे सोचो, कांनी जाओ उण्डा।
नीं हिन्दु नी मुसलमान है, आग लगाण्या गुण्डा।126
ऊ बोले दै बोलवा, थूँ मत खोवे होश।
राड घटाणी होय तो, रह जा बस खामोश।127
ऊ करड़ो आवे घणी, खोड़ी देतां पाण।
मधुर वैन कढ्बाय ले, म्हे देखी बहु दाण।128
एक वेर देखी नहीं, म्हे देखी बहुबेर।
भोला ने आगै करन, चातुर लैवे वैर।129
एक सूत में बूत सब, चलै सोबती चाल।
वे सब आदर जोग है, सचमुच मोतीलाल।130
एक सगो धनवा अर, एक सगो धन हीन।
सगो मान सम दे नतो, वीं सम कूण कमीन।131
एक बसै महलां बचै, एक झूंपड्याँ मांह।
यां दोवारो हेत नित, निभतो देख्यो नांह।132
एक समै होवे सुलभ, घी शक्कर अर रोट।
कदै पेट भरणो पड़ै, गाजर मूली भोट।133
एक नहीं दो तीन नीं, भाषा सीख अनेक।
पण भाषा निज भूल मत, याद राखजे एक।134
एक तौल दे घाट अर, एक जेब लै काट।
छोट मोट या में कुण, त्रण बीसी अर आठ।135
एक बार दो बार अर, चेतावें दस बार.
नीं मानें करतां बुरो, काम करै जद बार।136
एक फेंक कर एक तो, काम दिखावै पूण।
एक दिखावै डेढ़ सम, चातुर याँ में कुण।137
एक बात जिन भक्त सूँ थँने दरा दू ँ याद।
नई राड़ मत मांडजे, अबै खमाया बाद।138
एक पहर इस्कूल में, सात पहर घर माँह।
लालो करै न केण तो, गुरू ही दोषी काँह।139
एत ,दो झन में बड़ो, एक धनी नीं होय।
पूज्य मानज्यो जीं तरा, पीपल तुलसी दोय।140
एक बणायो मुख अरू, कान बणाया दोय।
कम बोलो ज्यादा सुणो, हाण कदी न होय।141
एक मर्यो कांई घट्यो, कटोय गाँव रो पाप।
एक मरयो सब रो पड्या, जाणे मरियो बाप।142
एक बार नी नजर सूँ, म्हे देखी बहुबार।
मूरख भाया बीच में, जर सूँ जरवा मार।143
ओरूम् जपो शिव-शिव जपो, चाहे सीता राम।
एक ईश रा नम सब, भज भल राधेश्याम।144
ओछा सूं मलं मती, धब्बा लगै अनेक।
ओछै पाणी रंग में, नांख दुपट्टो देख।145
ओछाँ के नीं रेवणो, नौकर घ पे जार।
बैठ चौहटा बीच भल, गाँठ खाव पै जार।146
ओरां की माने नहीं, खुद ने सूझे नांह।
ये लक्खण म्हे देखिया, महामूर्ख रे मांह।147
ओछा सूं राखो मती, हेल-मेल अर राड़।
कसर पड्यां चूके नहीं, देय पागड़ी पाड़।148
ओछां सूं बण जाय जद, आच्छो काम रजेक।
तो नी चारै फेर ऊ, पग धरती पै टेक।149
ओछा को सिर ऊपरै, नी लेणो अहसान।
बैठ भरी पंचत में, फेर घटा दे मान।150
ओढ्यां सूं कांई हवे, खर नाहर की खाल
खर तो ख ही रेवसी, आखिर मोतीलाल।151
औरां सूं थारो बण्यो, मोतीलाल बिगाड।
भूल परी बदलो लियो, बत्थी बढ़सी राड़।152
औसर पर दे देय तो, चोखा पाँच पच्चीस।
बगत कढ्या कई काम री, लाखाँ री बगतीत।153
और बात पूछे नहीं, दादाजी ने जार।
कां मि लेवे और को, दान देवती बार।154
औराँ ने सिख देवण्या, देख्या मनख अनेक।
सिध दे ज्यूं ही चालण्या, बिरला लख्या कठेक।155
औकां ने उपदेश के, कदी न खाणओ प्याज।
कुण मानै छोड़ नहीं, गुंदली तक महाराज।156
ओरां ने दुःख देर ज्यो, सुख की राखै चाह।
लिख लो दिरदा माँयने, या होबा की नांह।157
औराँ ने सुख आपणो, रहो बाँटता रोज।
और बाँटतो रेवणो, पर का दुःख रो बोझ।158
कवि लूण नै लूण कै, और खांड नै खांड।
लल्लो-चप्पो नीं करै, दीखै सो दै मांड।159
करतब भला न आपका, वाणी भली न रंच।
कुण करसी जद आपको, आदर कह दूं संच।160
कविवर माँडो कलम सूं, आप असी भी बात ?
अणभणियाँ भी समझ ले, जीं नै आछी भात।161
कम खाओ कसरत करो, और करो मत रीस।
ब्रह्मचर्य पालो जिओ, सौ पै बरस पच्चीस।162
करणो सो तत्काल कर, मती काल पै छोड़।
कुण जाने यो काल कद, घेटी लेय मरोड़।163
कम देखो लेओ अधिक, जाल्याँ करलो धाप।
खबर पड़ेगी एक दिन, जद कोपेगो बाप।164
कह-कह थाक्या सन्त पण, टाँची लगी न टोल।
राम भजै नी नत करे, नवरी लाफा लोल।165
कुट बोलै ऊँधो चलै, पूत केण में नाँह।
अनपढ़ राख्यो बाप थे, बोल दोष किण माँह।166
करता रो अभ्यास तो, काम कठिन नहीं कोय।
दरजी डोरो रात नै, सुई माहि लें पोय।167
करड़ी चुभणी बात सुण, कदी न आवे क्रोध।
तो जाणों वीं मनख में, मनखा पणां रो बोध।168
कर काढ़ै पग शूल ज्यूं, और काम सब छोड़।
पर का दुःख में जावणे, ई विध तुतां दौड़।169
करसी निहचै छेगलो, नालायक खल नीच।
जीं थाली में खावसी, वीं थाली रै बीच।170
कहणी ही तो कैंवजै, इण बिध करड़ी बात।
वैदराज दैं नीमड़ो, ज्यूं मिसरी री साथ।171
कम तोले बोले कड़ो, दै नीं लेर उधार।
तो बाण्यां थूं हाट पै, दिन भर माख्याँ मार।172
करणो दान जरूर पण, करणो सोच-विचार।
मुरगा नै मोती नहीं, देणओ जौर जुबार।173
कथनी करणी माँयने, जदें आँतरो हयो।
वीं नर को मन सूं कदी, आदर करै न कोय।174
करणो सदा समान सूं, ब्याव बणज व्योपार।
बाथेड़ो खाणओं नहीं, कदी बड़ा सूं जार।175
कमला थूं ठहरी नहीं, म्हूं दौड़्यो जी दांण।
पीठ फेरता ही हुई, खढ़ी अगाड़ी आंण।176
करै दिखावो बोत पण, करै भलाई नाँह।
दम्भ छोड़ अर बरत भलो, लाग भलाई माँह।177
कर जोड्यां सूं जगत में, कुण देवे अधिकार।
कला बुद्धि बल होय तो, देण्या दै झखमार।178

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